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सरकारी कर्मचारियों की मौत के बाद उनके आश्रितों को पेंशन के लिए न सिर्फ महीनों इंतजार करना पड़ता है बल्कि कई बार बाबुओं की जेब भी गरम करनी पड़ती है। अब हालात बदल सकते हैं। केंद्र सरकार कर्मचारियों के आश्रितों को जल्दी से पेंशन दिलाने की व्यवस्था करने जा रही है। सरकार चाहती है कि नियमों के मुताबिक पेंशनर की मृत्यु का प्रमाणपत्र बैंक में जमा होने के तुरंत बाद उसके आश्रितों की फैमिली पेंशन शुरू हो जाए।
पेंशन व पेंशनर कल्याण विभाग के कहने पर वित्त मंत्रालय ने फैमिली पेंशन पर नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ फाइनेंशियल मैनेजमेंट से अध्ययन कराया है जिसके नतीजे चौंकाने वाले हैं। इसके मुताबिक देश में सरकारी कर्मचारी की मृत्यु के बाद उसकी पत्नी या पति को फैमिली पेंशन शुरू होने में औसतन 172 दिन का समय लगता है। जिन राज्यों में साक्षरता की दर अधिक है वहां यह समय घटकर 112 दिन तक आ जता है।
बिहार जैसे राज्य जहां साक्षरता की दर कम है वहां फैमिली पेंशन शुरू होने में आश्रितों को 230 दिन तक का इंतजार करना पड़ता है। यह अध्ययन कराने का पेंशन व पेंशनर विभाग का उद्देश्य सरकारी कर्मचारियों व उनके परिवारों की सेवानिवृत्त जीवन स्तर में व्यापक सुधार लाना है।
इंस्टीट्यूट ने अपनी रिपोर्ट में पेंशन के 9661 मामलों का अध्ययन किया है। नियमों के मुताबिक बैंक में पेंशनर की मृत्यु की जानकारी मिलने के अगले दिन से ही फैमिली पेंशन लागू हो जाती है, लेकिन अध्ययन के मुताबिक केवल 6.58 फीसद मामलों में फैमिली पेंशन दो महीने में शुरू हो पाई। 30 फीसद से ज्यादा मामले ऐसे थे जिनमें चार से पांच महीने का वक्त लगा। 37 फीसद मामलों में तो पेंशनर की मृत्यु के छह महीने बाद जाकर फैमिली पेंशन शुरू हो पाई।
अध्ययन में पाया गया है कि फैमिली पेंशन शुरू होने में देरी की मुख्यतः दो वजह हैं। पहला परिवार के स्तर पर और दूसरा बैंक के स्तर पर। परिवार के स्तर पर देरी पेंशनर के मृत्यु प्रमाण पत्र को बैंक में जमा कराने में और नियमों की जानकारी के अभाव में देरी होती है। बैंकों में पेंशन के मामलों को मंजूरी के लिए सेंट्रल पेंशन प्रोसेसिंग सेंटर तक भेजने में होने देरी प्रमुख वजह है। इसके साथ ही बैंक अधिकारियों के स्तर पर नियमों की स्पष्टता का अभाव इसका कारण बनता है।
रिपोर्ट में एनआईएफएम ने इस स्थिति को सुधारने के कुछ उपाय भी सुझाए हैं जिन पर सरकार ने गंभीरता से विचार करना शुरू किया है। इन सुझावों में सभी बैंकों को पेंशनरों का एक मास्टर डाटा बेस बनाने की सिफारिश की गई है। साथ ही इस डाटाबेस को सरकार के ई-पेमेंट गेटवे से जोड़ने की सलाह भी दी गई है ताकि कागजी कार्यवाही से बचा जा सके।